Jagruk youth news, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देशभर के बैंक ग्राहकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो आने वाले समय में एटीएम उपयोग के तरीके को काफी हद तक बदल सकता है। इस नए फैसले का उद्देश्य आम जनता को रोजमर्रा के लेनदेन में राहत देना और कैश निकासी प्रणाली को अधिक व्यावहारिक बनाना है। हालांकि, इसके साथ ही एटीएम से पैसे निकालना कुछ लोगों के लिए थोड़ा महंगा भी पड़ सकता है।
रिजर्व बैंक द्वारा सोमवार को जारी एक सर्कुलर में स्पष्ट किया गया कि अब बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके एटीएम में छोटे नोटों की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में हो। इसमें खासतौर पर 100 और 200 रुपये के नोट शामिल हैं, जो कि आम लोगों द्वारा रोजमर्रा के खर्चों के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाते हैं। आरबीआई ने इस दिशा में चरणबद्ध रूप से बदलाव करने का निर्देश दिया है। नए निर्देशों के मुताबिक, 30 सितंबर 2025 तक देशभर में मौजूद 75 प्रतिशत एटीएम में कम से कम एक कैसेट में 100 या 200 रुपये के नोट मौजूद होने चाहिए। इसके बाद 31 मार्च 2026 तक यह अनुपात बढ़ाकर 90 प्रतिशत तक किया जाएगा।
इस निर्णय के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को बड़े नोटों की परेशानी से राहत मिले और उन्हें खुले पैसे के लिए अलग से मशक्कत न करनी पड़े। खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में यह फैसला बेहद उपयोगी साबित हो सकता है, जहां छोटे नोटों की मांग अधिक होती है, लेकिन उपलब्धता अक्सर कम रहती है।
दूसरी तरफ, 1 मई 2025 से एटीएम से पैसे निकालने की प्रक्रिया में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अब यदि ग्राहक अपनी फ्री लिमिट के बाद एटीएम से नकद निकालते हैं या बैलेंस चेक करते हैं, तो उन्हें ज्यादा शुल्क चुकाना पड़ेगा। अभी तक ग्राहकों को फ्री ट्रांजैक्शन लिमिट खत्म होने पर प्रत्येक अतिरिक्त ट्रांजैक्शन के लिए 21 रुपये देने पड़ते थे, लेकिन इस शुल्क को बढ़ाकर 23 रुपये कर दिया गया है। यह बदलाव उन सभी ग्राहकों पर लागू होगा जो मेट्रो शहरों में तीन बार और अन्य स्थानों पर पांच बार फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा पार करते हैं।
इन दोनों फैसलों को देखा जाए, तो एक ओर आरबीआई जहां ग्राहकों को बेहतर सेवा देने की दिशा में कदम उठा रहा है, वहीं वह यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि एटीएम का इस्तेमाल सोच-समझकर और सीमित किया जाए। इससे एटीएम मशीनों पर बोझ कम होगा, और बैंकों के संचालन खर्च में भी कमी आएगी।
संक्षेप में कहें तो, 2025 में बैंकिंग अनुभव पहले से ज्यादा सुव्यवस्थित और अनुशासित होने जा रहा है। लोग जहां एक ओर 100 और 200 रुपये के नोट आसानी से पा सकेंगे, वहीं उन्हें हर बार कैश निकालते समय यह ध्यान भी रखना होगा कि ट्रांजैक्शन फ्री लिमिट से अधिक न हो, वरना जेब पर असर जरूर पड़ेगा।
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